"आदिवासी सीएम सोनोवाल के कुर्सी पर कब्जा” झामुमो के निशाने पर हिमंता

असम के सीएम थें सर्वानंद सोनेवाल

जब से हिमंता विस्व सरमा को झारखंड में चुनाव प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया है, वह लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाकर झामुमो की घेराबंदी कर रहे हैं, और इसके पलटवार में झामुमो अब अतीत के पन्नों को खोल कर उन दावों की हवा निकालने  की कोशिश कर रही है.

रांची: असम के सीएम हिमंता के द्वारा झारखंड में बाहरी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी लड़कियों से विवाह रोकने के लिए कानून बनाने की मांग पर सियासत गर्म होती नजर आने लगी है. झामुमो इस बयान पर पलटवार करते हुए पूछा है कि झारखंड में आदिवासियों का फिक्र करने बजाय हिमंता को इस बात का जवाब देना चाहिए कि असम के माटीपुत्र सोनेवाल को कुर्सी से बेदखल कर वह खुद कुर्सी पर कैसे चढ़े. आख़िर सोनोवाल जी की क्या गलती थी ? पूरे असम ने अपना मत सोनोवाल जी के सरकार को देख कर दिया, तो यह घोटालेबाज़ कैसे मुख्यमंत्री बना दिया गया?  आख़िर भाजपा आदिवासियों से इतनी घृणा क्यों करती है?

    

असम के आदिवासी सीएम थें सर्वानंद सोनेवाल

आपको बता दें कि 24 मई 2016  से लेकर 9 मई 2021 तक सर्बानंद सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री थें, लेकिन 2021 में विधान सभा चुनाव के बाद, जो उनके ही नेतृत्व में लड़ा गया था, भाजपा सर्बानंद सोनोवाल को हटाकर हिमंता विस्व सरमा को सीएम बनाने का फैसला किया. सर्बानंद सोनेवाल असम में आदिवासी समाज का एक बड़ा चेहरा है, जबकि हिमंता विस्व सरमा के बारे में दावा किया जाता है कि इनके पूर्वज बिहार से जाकर असम में बसे थें. सीएम हिमंता की शादी भुइया जाति की महिला के साथ हुई, जिसे असम की मूलवासी आदिवासी जाति मानी जाती है. यानी हिमंता ने असम की एक आदिवासी मूलवासी जाति की महिला का साथ शादी किया और बाद में एक आदिवासी सीएम को हटा कर भाजपा ने सीएम की कुर्सी सौंपी, इसके साथ ही भाजपा में आने के पहले इन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगाये गये थें, तब पूरी भाजपा हिमंता के खिलाफ हमलावर थी, लेकिन भाजपा  में एंट्री के साथ ही सीएम की कुर्सी सौंप दी गयी. 

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बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बनाने की कोशिश

अब इसी को लेकर झामुमो के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, यह सवाल ख़ड़ा किया जा रहा है कि खुद ही एक बाहरी व्यक्ति होने  के बावजूद एक आदिवासी महिला के साथ शादी की और एक आदिवासी सीएम की कुर्सी पर कब्जा किया, बावजूद इसके झारखंड में बाहरियों के द्वारा आदिवासी महिला के साथ शादी पर रोक लागने की कानून की मांग की जा रही है. दरअसल जब से हिमंता विस्व सरमा को झारखंड में चुनाव प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया है, वह लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाकर झामुमो की घेराबंदी कर रहे हैं, और इसके पलटवार में झामुमो अब अतीत के पन्नों को खोल कर उन दावों की हवा निकालने  की कोशिश कर रही है.

Edited By: Devendra Kumar

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